..देखा हैं मैंनें..
..ताना देते है लोग बहोत..
..कीचड से खुद निकल जातें हैं..
..तो सयानें बनते हैं लोग बहोत..
..अपनें तकलीफ़ की बात..
..बतातें हैं लोग बहोत..
..मेरा गर नाम आ जाता हैं..
..तो तो बात बनाते हैं लोग बहोत..
..दरहो-हरम..
..फ़रियाद ले जातें हैं लोग बहोत..
..मै नमाज़ को जो बैठूं..
..तो हराम बतातें हैं लोग बहोत..
..दोस्ती-मुहब्बत कानून-समाज..
..गातें हैं गुण इनके लोग बहोत..
..मैं अपराध में हूँ..
..तो शर्मसार करतें हैं लोग बहोत..
..गरीबों की आह अमीरों की वाह..
..कह जातें हैं लोग बहोत..
..खुद को इक नज़र देखों तो कभी..
..कहूँ जो मैं बकवास बताते हैं लोग बहोत..
..मेरे हर लिख्खें में कोई नुक्स..
..निकाल देते हैं लोग बहोत..
..मैं कहता हूँ अब चुप ही रहों वर्मा..
..बात कांटनें अपनें अब आतें हैं लोग बहोत..!
..नितेश वर्मा..
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