Monday, 28 July 2014

..तू खुदा बन जा वर्मा तुझे क्या हुआ था..

..बहोत परेशान हुआ था इसलिए चुप हुआ था..
..किसी से कुछ कहता क्या इसलिए रूत हुआ था..

..सुनतें थें लोग बहोत बातें मेरी..
..बातों में मेरें ऐसा लगा क्या हुआ था..

..ज़मानें से किसी को शिकवा हो तो कहों..
..मगर अपनों में तुम्हारें रक्खा क्या हुआ था..

..बातें मनवातें मैनें देखें थें जो लोग बहोत..
..अक्सर शामें वो तन्हा क्यूं हुआ था..

..गुजर के जानें की कोई बात ही नहीं..
..एहसास ही सनम ऐसा क्या हुआ था..

..अब जब सुनातें ही हैं सब रोग अपना..
..तू खुदा बन जा वर्मा तुझे क्या हुआ था..

..नितेश वर्मा..




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