Thursday, 10 July 2014

..और घर जानें पे बच्चों के शौक आसमान होते हैं..

..सबसे जो परेशान होतें हैं..
..खुद से वो हैरान होतें हैं..

..दरियां पार कर जाना हैं उन्हें..
..ऐसी मंज़िलों से वो अंज़ान होते हैं..

..निखरता हैं चेहरा धूप में जाकर जिनका..
..मज़दूर वो  दिल से नादान होते हैं..

..बगावत करके चले आतें हैं जो..
..सियासत में वो शर्म-सार होतें हैं..

..तमन्ना दिल की आँखों पे जाहिर होनें देते नहीं..
..या खुदा रब ही जानें कैसे वो  इंसान होते हैं..

..मिलती नहीं दो वक्त की रोटी यहां..
..और घर जानें पे बच्चों के शौक आसमान होते हैं..

..सबसे जो परेशान होतें हैं..
..खुद से वो हैरान होतें हैं..!

..नितेश वर्मा..

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