प्यार बहोत ही अनोखा और बहोत ही सुहावना सफ़र हैं,जो सबके ज़िन्दगी में एक बार जरूर आता है।कभी किसी के बचपन में.. तो कभी किसी के जवानी में.. तो कभी किसी के शादी के बाद.., लेकिन आता जरूर हैं। एहसास काफ़ी सुखद होता हैं दिल इन परिस्थितियों में काफ़ी नाज़ुक हो जाता हैं.. जरा-जरा सी बात पे रूठना तो रिवाज़ हो जाता हैं। पर इस प्यार की एक और अहम और काफ़ी दिल-चस्प बात होती हैं जब आपकों यानी की किसी लडकी या लडके को इसका इज़हार करना हो।
पहला प्यार अब इज़हार करना हैं क्यूंकि बिना इज़हार इकरार होनें से रहा। पर ऐसे में क्या-क्या परेशानियाँ पहल होती हैं उनमें में आपकों कुछ बताता हूँ और जो बच जाएं तो आप जरूर याद दिला दे।
आज़ हम बात पहलें पक्ष यानी के लडकों की करेंगे और कल दूसरी पक्ष लडकियों की उल्झनों पे गौर करेंगें।
बहोत मुश्किल होता हैं ना पहली मुहब्बत का इज़हार। ना जानें वो क्या कह देगी कहीं इंकार तो नहीं कर देगी। ना ना-ना ऐसे कै्से कर देगी आखिर वो भी तो मुझसे प्यार करती हैं..
माना कभी उसनें ये कहा नहीं पर उसकी जो बडी-बडी आँखें बोलती हैं ना मैनें सब-कुछ बिल्कुल उसमें साफ़-साफ़ पढा हैं। वो मेरा ही होना चाहती हैं शायद कहनें से शर्माती हैं.. खैर कोई नहीं! इन मामलों में लडके ही हमेशा से बली-के-बकरे बनतें आ रहें तो.. मैं भी सहीं। आखिर अपनें प्यार के लिएं मैं कुछ नहीं करूँगां तो कौन करेगा? पर मुश्किल हैं वो ना कह देगी तो.. और हाँ मैं उससे कहूँगा कैसे..? और उसका मुँहफ़ट भाई अगर हमारें बीच आया ना तो अच्छा नहीं होगा.. मैं पहले ही बता देता हूँ.. प्यार का इज़हार करनें जा रहा हूँ कोई मज़ाक थोडे ही ना हैं।
पता ना उसका क्या रिऐक्शन होगा, कहीं वो मुझसे नाराज़ हो के बात भी करना बंद कर देगी तो..? तब-तब मैं क्या करूँगां..? ना-ना अभी नहीं फिर बाद में कभी कोशिश करूँगां। कोइ अच्छा-सा वक्त देख के, उसे और ज़्यादा समझ के और हाँ उस चिंटू के बच्चें से लडकियों को पटानें के और भी पैंतरें सीख के। सब कहतें हैं वो लडकियों को यूं पटा लेता हैं। मैं आज़ भी हैरान रहता हूँ इस बात पे काला-कलूटा, छोटे-कद वाला आखिर लडकियाँ उससे पट कैसे जाती हैं। मेरी नज़र में तो वो बिल्कुल जाहिल,निकम्मा,आवारा और आप चाहें जो कह लो जितना बुरा वो मेरी नज़रों में हैं। खैर मुद्दा ये नहीं हैं बात मेरे पहले प्यार के पहले इज़हार की हैं।
कैसे क्या करूं? कुछ समझ नहीं आता.. वो कुछ इशारा दे दे तो बात बन जाएं पर उसे अपनें दोस्तों से फ़ुरसत कहां..? एक मैं ही तो नाकारा हूँ जो उसके प्यार के पीछें पागल रहता हूँ। पर मैंनें भी तो देखा ही हैं ना कल जी क्लासिक के मूवी में राज़ेश खन्ना नें क्या समझाया था.. लडकियों को अपना बनाना हैं तो थोडी चापलूसी कर ही लेनी चाहिएं, लडकियों को यें अच्छें लगते हैं जब कोई उनके नखडों को उठाता हैं।
कसम से बहोत गंदे और उबाऊँ नखडे होते हैं पर क्या करें हम इस आशिक दिल का। अपनें प्यार के चक्कर में उसे भी ढोता-फ़िरता हैं। पता ना आज़ मैं ना जानें कैसी-कैसी बातें कर रहा हूँ, शायद यहीं तो कहीं प्यार नहीं जब मैं उसके पास भी नहीं तो भी वो मेरे ख्यालों में समाई हुई हैं।
जानें कैसे क्या होगा? आखिर मैं कब उसे अपनें दिल का प्यार बतलाऊँगां या फ़िर यें प्यार ऐसी ही कैसे किसी कोनें में दब के रह जाऐगा और ज़िन्दगी भर मुझे टींस देता रहेगा।ना-ना मैं हर-गिज ऐसा नहीं होनें दूँगा। मैं अपनें प्यार का इज़हार करूगाँ और जल्द ही करूँगां फ़िर कैसे करूँगां?
बातें फ़िर वहीं आके रूक जाती हैं जहां से वो शुरू हुई हैं और डायरी का फिर वो एक पन्ना भर जाता हैं इस कश्मो-कश में जो मुहब्बत की दास्तां बतानें के लिएं लिखी जा रहीं हो।
..नितेश वर्मा..
पहला प्यार अब इज़हार करना हैं क्यूंकि बिना इज़हार इकरार होनें से रहा। पर ऐसे में क्या-क्या परेशानियाँ पहल होती हैं उनमें में आपकों कुछ बताता हूँ और जो बच जाएं तो आप जरूर याद दिला दे।
आज़ हम बात पहलें पक्ष यानी के लडकों की करेंगे और कल दूसरी पक्ष लडकियों की उल्झनों पे गौर करेंगें।
बहोत मुश्किल होता हैं ना पहली मुहब्बत का इज़हार। ना जानें वो क्या कह देगी कहीं इंकार तो नहीं कर देगी। ना ना-ना ऐसे कै्से कर देगी आखिर वो भी तो मुझसे प्यार करती हैं..
माना कभी उसनें ये कहा नहीं पर उसकी जो बडी-बडी आँखें बोलती हैं ना मैनें सब-कुछ बिल्कुल उसमें साफ़-साफ़ पढा हैं। वो मेरा ही होना चाहती हैं शायद कहनें से शर्माती हैं.. खैर कोई नहीं! इन मामलों में लडके ही हमेशा से बली-के-बकरे बनतें आ रहें तो.. मैं भी सहीं। आखिर अपनें प्यार के लिएं मैं कुछ नहीं करूँगां तो कौन करेगा? पर मुश्किल हैं वो ना कह देगी तो.. और हाँ मैं उससे कहूँगा कैसे..? और उसका मुँहफ़ट भाई अगर हमारें बीच आया ना तो अच्छा नहीं होगा.. मैं पहले ही बता देता हूँ.. प्यार का इज़हार करनें जा रहा हूँ कोई मज़ाक थोडे ही ना हैं।
पता ना उसका क्या रिऐक्शन होगा, कहीं वो मुझसे नाराज़ हो के बात भी करना बंद कर देगी तो..? तब-तब मैं क्या करूँगां..? ना-ना अभी नहीं फिर बाद में कभी कोशिश करूँगां। कोइ अच्छा-सा वक्त देख के, उसे और ज़्यादा समझ के और हाँ उस चिंटू के बच्चें से लडकियों को पटानें के और भी पैंतरें सीख के। सब कहतें हैं वो लडकियों को यूं पटा लेता हैं। मैं आज़ भी हैरान रहता हूँ इस बात पे काला-कलूटा, छोटे-कद वाला आखिर लडकियाँ उससे पट कैसे जाती हैं। मेरी नज़र में तो वो बिल्कुल जाहिल,निकम्मा,आवारा और आप चाहें जो कह लो जितना बुरा वो मेरी नज़रों में हैं। खैर मुद्दा ये नहीं हैं बात मेरे पहले प्यार के पहले इज़हार की हैं।
कैसे क्या करूं? कुछ समझ नहीं आता.. वो कुछ इशारा दे दे तो बात बन जाएं पर उसे अपनें दोस्तों से फ़ुरसत कहां..? एक मैं ही तो नाकारा हूँ जो उसके प्यार के पीछें पागल रहता हूँ। पर मैंनें भी तो देखा ही हैं ना कल जी क्लासिक के मूवी में राज़ेश खन्ना नें क्या समझाया था.. लडकियों को अपना बनाना हैं तो थोडी चापलूसी कर ही लेनी चाहिएं, लडकियों को यें अच्छें लगते हैं जब कोई उनके नखडों को उठाता हैं।
कसम से बहोत गंदे और उबाऊँ नखडे होते हैं पर क्या करें हम इस आशिक दिल का। अपनें प्यार के चक्कर में उसे भी ढोता-फ़िरता हैं। पता ना आज़ मैं ना जानें कैसी-कैसी बातें कर रहा हूँ, शायद यहीं तो कहीं प्यार नहीं जब मैं उसके पास भी नहीं तो भी वो मेरे ख्यालों में समाई हुई हैं।
जानें कैसे क्या होगा? आखिर मैं कब उसे अपनें दिल का प्यार बतलाऊँगां या फ़िर यें प्यार ऐसी ही कैसे किसी कोनें में दब के रह जाऐगा और ज़िन्दगी भर मुझे टींस देता रहेगा।ना-ना मैं हर-गिज ऐसा नहीं होनें दूँगा। मैं अपनें प्यार का इज़हार करूगाँ और जल्द ही करूँगां फ़िर कैसे करूँगां?
बातें फ़िर वहीं आके रूक जाती हैं जहां से वो शुरू हुई हैं और डायरी का फिर वो एक पन्ना भर जाता हैं इस कश्मो-कश में जो मुहब्बत की दास्तां बतानें के लिएं लिखी जा रहीं हो।
..नितेश वर्मा..
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