Thursday, 3 July 2014

..हो जब खुशी तो हो कुछ दिन और..

..जद्दों-जहद में गुजरी यें ज़िन्दगानी हमारी..
..हो जब परेशानी तो हो कुछ दिन और..

..खुदा के सज़दें में बैठे हैं सब इबादत को..
..हो जब रोज़ा तो हो कुछ दिन और..

..बिगडें हैं सारें ताल्लुकात आज़..
..हो जब खफ़ा तो हो कुछ दिन और..

..क्यूं ना जानें सबकें सामनें रो देता हैं वो..
..हो जब नाशुक्रा तो हो कुछ दिन और..

..मिली जब शौहरत तो शक्स ही बदल गया..
..हो जब खुशी तो हो कुछ दिन और..

..दिल में आज़ भी वो तस्वीर पुरानी हैं..
..हो जब याद-ए-सनम तो हो कुछ दिन और..

..नितेश वर्मा..

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