Tuesday, 1 July 2014

..दिल पे हो बोझ ये अच्छा नहीं लगता..

..बातें हैं बहोत पर कुछ कहना अच्छा नहीं लगता..
..चलती हैं साँसें पर जीना अच्छा नहीं लगता..

..सँभालतें हैं सब अपनें हिस्सें का दर्द..
..दिल पे हो बोझ ये अच्छा नहीं लगता..

..सलीकें हैं बहोत नेकियों पे चलनें के..
..रास्ता हो कठिन तो चलना अच्छा नहीं लगता..

..भगवान के घर देर हैं अँधेर नहीं..
..किस्मत के साथ मिलती हैं सब..
..ऐसी दुआ हो तो दुआ अच्छा नहीं लगता..

..कह के जो तुम गए थें आओगें कभी..
..मरनें पे हैं जां मज़ाक ये अच्छा नहीं लगता..

..कर्म के अनुसार मिलतें हैं सबको फल यहां..
..जब अंगूर हो खट्टें तो मेहनत अच्छा नहीं लगता..

..आज़ भी परेशानियों के मारें हैं सब..
..बात हैं अहम पर कहना अच्छा नहीं लगता..!

..नितेश वर्मा..

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