..कहतें हैं सब यहां वक्त गुजर रहा हैं..
..मैं ठहरा रहता हूँ..
..फिर कैसे वक्त गुजर रहा हैं..
..मैं निकलता चला जाता हूँ..
..वो छूटता चला जाता हैं ..
..मैं आगें बढता हूँ वो पीछें रह जाता हैं..
..फिर वो कैसे कहतें हैं..
..वक्त धोखा दे जाता हैं..
..इमतिहान लो बैठा हम दोनों का..
..कैसे कोई आगे निकल जाता हैं..
..मैं ठहरता हूँ..
..तो वो भी ठहर जाता हैं..
..ना जानें कैसे कहतें हैं लोग..
..के वक्त गुजर जाता हैं..!
..नितेश वर्मा..
..मैं ठहरा रहता हूँ..
..फिर कैसे वक्त गुजर रहा हैं..
..मैं निकलता चला जाता हूँ..
..वो छूटता चला जाता हैं ..
..मैं आगें बढता हूँ वो पीछें रह जाता हैं..
..फिर वो कैसे कहतें हैं..
..वक्त धोखा दे जाता हैं..
..इमतिहान लो बैठा हम दोनों का..
..कैसे कोई आगे निकल जाता हैं..
..मैं ठहरता हूँ..
..तो वो भी ठहर जाता हैं..
..ना जानें कैसे कहतें हैं लोग..
..के वक्त गुजर जाता हैं..!
..नितेश वर्मा..
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