Friday, 11 July 2014

..हारा हैं दिल जुबां पे अब बद्दुआएं लगे रहते हैं..

..धूप-छाव के इंसा लगे रहते हैं..
..दुल्हन के हाथों की मेंहदी सजे रहते हैं..

..सब दूर चले जातें हैं इक वक्त आकर..
..यादों में उनके आखें लगे रहते हैं..

..कडी मेहनत करके पातें हैं कामयाबी..
..फ़िर भी पटिदारी के आँखों में गडे रहते हैं..  [पटिदारी= घर के अगल-बगल रहनें वालें पारिवारिक संबंधी।]

..सज़दे कर दुआएं भी ले ली..
..घबराया हैं दिल चोरी में लगे रहते हैं..

..इक वक्त पे आके रूक जाती हैं होशियारी सबकी..
..ज़िन्दगी में परेशानी अब लगे रहते हैं..

..चलते-चलतें कलम भी अब रूक जाती हैं वर्मा..
..हारा हैं दिल जुबां पे अब बद्दुआएं लगे रहते हैं..!

..नितेश वर्मा..

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