Sunday, 18 October 2015

तुम भूल जाती हो अक्सर

तुम भूल जाती हो अक्सर
मुझमें एक क्रांतिकारी भी रहता हैं
अक्सर..
अक्सर तुम डर जाती हो हर खौफ से
तुम्हें नजानें कितनी वजहें
एक साथ डराती हैं
नजानें तुम क्या सोचा करती हो
अक्सर..
अक्सर तुम भूल जाती हो
तुम्हें फिक्र रहती हैं.. मैं बचा रहूँ
हर गलत-ओ-नज़र-अंदाज़ से
तुम नहीं चाहती हो कोई भी वजह यूं बेवजह
तुम नहीं चाहती
उँगलियाँ उठकर कभी आयें मेरी तरफ
तुम नहीं चाहती
कोई भी मौसम आ के भींगाये मुझको
तुम नहीं चाहती
इस मासूम शक्ल पे कोई दाग़ आयें
तुम नहीं चाहती हो कुछ भी ऐसा
मग़र..
तुम भूल जाती हो अक्सर
मुझमें एक क्रांतिकारी भी रहता हैं
तुम भूल जाती हो अक्सर।

नितेश वर्मा और तुम भूल जाती हो अक्सर।

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