मेरे ख्यालों में उतरते है लोग बहोत
फिर खुद ही बदलते है लोग बहोत।
गीतों की धुन, वो पाजेब से आती है
वो आयी तो संभलते है लोग बहोत।
मेरी आहों का हिसाब हो एक दिन
यूं देख मुझे मचलते है लोग बहोत।
परिंदे मुझमें बसर करते है रातों में
गुमसुम हो यूं चलते है लोग बहोत।
वो वक्त जो मुझमें गुजर चुका वर्मा
बेवक्त वो याद करते है लोग बहोत।
नितेश वर्मा और लोग बहोत।
फिर खुद ही बदलते है लोग बहोत।
गीतों की धुन, वो पाजेब से आती है
वो आयी तो संभलते है लोग बहोत।
मेरी आहों का हिसाब हो एक दिन
यूं देख मुझे मचलते है लोग बहोत।
परिंदे मुझमें बसर करते है रातों में
गुमसुम हो यूं चलते है लोग बहोत।
वो वक्त जो मुझमें गुजर चुका वर्मा
बेवक्त वो याद करते है लोग बहोत।
नितेश वर्मा और लोग बहोत।
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