कौन ये यादों में आके गुनगुना जाता हैं
लब मुहब्बत के मुझको सुना जाता हैं।
मैं भूल जाता हूँ खुदको याद करने को
कोई बिखरता हैं तो कोई बुना जाता हैं।
मैं तो उसके हिसाब से ही रहने लगा हूँ
कुछ अपनी करूँ तो वो गुर्ना जाता हैं।
दिल मेरा भी अब घायल रहता हैं वर्मा
जैसे बर्षों रक्खा धान भी घूना जाता हैं।
नितेश वर्मा
लब मुहब्बत के मुझको सुना जाता हैं।
मैं भूल जाता हूँ खुदको याद करने को
कोई बिखरता हैं तो कोई बुना जाता हैं।
मैं तो उसके हिसाब से ही रहने लगा हूँ
कुछ अपनी करूँ तो वो गुर्ना जाता हैं।
दिल मेरा भी अब घायल रहता हैं वर्मा
जैसे बर्षों रक्खा धान भी घूना जाता हैं।
नितेश वर्मा
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