Saturday, 24 October 2015

बेखबर से जाने क्यूं हम

बेखबर से जाने क्यूं हम
कोई खबर ढूंढ लाओ तुम
साँसों से बेअसर क्यूं हम
कोई असर कर जाओ तुम
मुझमें रह लो तुम
मुझे खुद सा कर जाओ तुम
होंठों की नमी को मुझपे रखके
खुदको ही भूल जाओ तुम
बेखबर से जाने क्यूं हम
कोई खबर ढूंढ लाओ तुम

ख्वाब मिलते जिस जगह है
इन आँखों को छोड़ आओ तुम
प्यास हैं इनमें जाने कितनी
समुन्दर खुदको कर जाओ तुम
मुझमें सिमटो तुम कभी
मुझको जिंदा कर जाओ तुम
बरसती हैं हर पल मुझमें छींटें
कभी मुझको भींगा जाओ तुम
बेखबर से जाने क्यूं हम
कोई खबर ढूंढ लाओ तुम

नितेश वर्मा

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