कभी कभी मैं चाहता हूँ
सारी परेशानियों से दूर
एक कोई कुटिया बना लू
जहाँ हर रोज़
मैं खुद को समझ पाऊँ
फूँक दूँ अलसायी गर्मी में
सूखें पत्तों के संग
तमाम तकलीफें अपनी
बना लू एक ऐसा जहां
जहाँ
सिर्फ़ मैं रहूँ और मेरी सुकून।
नितेश वर्मा और सुकून।
सारी परेशानियों से दूर
एक कोई कुटिया बना लू
जहाँ हर रोज़
मैं खुद को समझ पाऊँ
फूँक दूँ अलसायी गर्मी में
सूखें पत्तों के संग
तमाम तकलीफें अपनी
बना लू एक ऐसा जहां
जहाँ
सिर्फ़ मैं रहूँ और मेरी सुकून।
नितेश वर्मा और सुकून।
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