Saturday, 3 October 2015

ये बहोत ही बहानेबाजी वाली बात लगती हैं

ये बहोत ही बहानेबाजी वाली बात लगती हैं
के अब मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ की गूंज
और
तुम बार-बार आकर मुझसे बोलती
मैं हर दफा वहीं जुमले सुना देता
तुम खामोश सुन लेती.. इस उम्मीद में
शायद मैं बदल जाऊँ
लेकिन मैं तो ठहरा वक्त था शायद
और तुम बहती हवा
तुम और हम साथ कभी चल सकते नहीं।

नितेश वर्मा


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