Nitesh Verma Poetry
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Saturday, 31 October 2015
यूं ही एक ख्याल सा
उसकी आँखों का कुसूर था.. मेरी आँखों को पढ़ना..
वो बदतमीज था और मैं बेशर्म।
नितेश वर्मा और आँखें।
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