मुहब्बत सरनवाजी अब करती नहीं
बात बेतुकी अब यूं ही बढ़ती नहीं
लोग बेहिस से हैं
मगर.. फिर भी..
इंतजार मायूसी की घटती नहीं
दो लम्हे गुजर जाये बस
यूं ही तुमको तकते-तकते
बेवजह हैं लेकिन फिर भी
क्यूं ये
आरजूएँ जिंदगी की मरती नहीं।
नितेश वर्मा और आरजूएँ।
बात बेतुकी अब यूं ही बढ़ती नहीं
लोग बेहिस से हैं
मगर.. फिर भी..
इंतजार मायूसी की घटती नहीं
दो लम्हे गुजर जाये बस
यूं ही तुमको तकते-तकते
बेवजह हैं लेकिन फिर भी
क्यूं ये
आरजूएँ जिंदगी की मरती नहीं।
नितेश वर्मा और आरजूएँ।
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