एक शाम की बेतुकी प्रेम-संवाद हिंदी की कविता में..
तुम बहुत खूबसूरत हो
कितनी खूबसूरत,
चाँद सी क्या ?
हाँ बिलकुल, चाँद की चाँदनी सी
पर मेरा चाँद कौन हैं ?, तुम
नहीं मैं नहीं, पता नहीं
कौन हैं ? तुम जानती हो
नहीं, मैं तो अब तक नहीं मिली
क्यूं ? क्यूं नहीं मिली
क्यूं मिलू भला, तुम बताओ
मिलना तो था ना
वो मिले मुझसे, मैं क्यूं मरूँ
तुम्हें प्यार नहीं हैं क्या उससे
नहीं, नहीं हैं
तुम बताओ तुम्हें मुझसे हैं
क्या ?
प्यार, और क्या ?
क्यूं, पूछ रही हो अब ये ?
बता भी दो, अब ये
हाँ शायद! लेकिन डरता हूँ
किससे ? मुझसे क्या
नहीं, खुद से
क्यूं डरते हो बेवजह
बेवजह नहीं, वजह है ना
क्या है वजह ? बताओगे भी
कैसे बताऊँ ? ड़रता हूँ
हाथ जोड़ूं क्या अब
नहीं इसकी जरूरत नहीं
तो बताओ फिर
हाँ, बताता हूँ
बताओ
तुम बहुत खूबसूरत हो।
नितेश वर्मा और तुम बहुत खूबसूरत हो।
तुम बहुत खूबसूरत हो
कितनी खूबसूरत,
चाँद सी क्या ?
हाँ बिलकुल, चाँद की चाँदनी सी
पर मेरा चाँद कौन हैं ?, तुम
नहीं मैं नहीं, पता नहीं
कौन हैं ? तुम जानती हो
नहीं, मैं तो अब तक नहीं मिली
क्यूं ? क्यूं नहीं मिली
क्यूं मिलू भला, तुम बताओ
मिलना तो था ना
वो मिले मुझसे, मैं क्यूं मरूँ
तुम्हें प्यार नहीं हैं क्या उससे
नहीं, नहीं हैं
तुम बताओ तुम्हें मुझसे हैं
क्या ?
प्यार, और क्या ?
क्यूं, पूछ रही हो अब ये ?
बता भी दो, अब ये
हाँ शायद! लेकिन डरता हूँ
किससे ? मुझसे क्या
नहीं, खुद से
क्यूं डरते हो बेवजह
बेवजह नहीं, वजह है ना
क्या है वजह ? बताओगे भी
कैसे बताऊँ ? ड़रता हूँ
हाथ जोड़ूं क्या अब
नहीं इसकी जरूरत नहीं
तो बताओ फिर
हाँ, बताता हूँ
बताओ
तुम बहुत खूबसूरत हो।
नितेश वर्मा और तुम बहुत खूबसूरत हो।
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