Saturday, 3 October 2015

बिछड़ कर मुझसे चले जाने के बाद

बिछड़ कर मुझसे चले जाने के बाद
तुम कोई साथी ढूंढ लेना
मुझे पता है तुम्हें हर वक़्त
एक सबल और समर्थ कांधे की
जरूरत महसूस होती हैं
मैं जानता हूँ ये एक विद्रोह होगा
मुझसे और मेरी मुहब्बत से
तुम्हारी प्रचलित अंदाज़ों -बयाँ से
फिर भी
तुम अपनी जिन्दगी जीं लेना
खुलकर दो पल को हँस लेना
रात बेखौफ रास्तों पे चल लेना
मैं मना लूंगा मातम
बेहिचक
तुम्हारे चलें जाने का.. रो लूंगा मैं
मैंने जो तुमसे छीना हैं.. जो लूटा हैं
लौटा तो नहीं सकता
मगर खुद को बदल सकता हूँ
दो कदम देर से ही सही.. चल सकता हूँ
मैं माँगता हूँ हर गुनाह की माफी
अब तुम समझना.. तुम समझना.. तुम समझना
बिछड़ कर मुझसे चले जाने के बाद
तुम कोई साथी ढूंढ लेना
तुम कोई साथी ढूंढ लेना।

नितेश वर्मा

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