हैं कुछ पूछती मुझसे अभ्भी निगाहें उनकी
कहें तो हैं दूर् मुझसे अभ्भी निगाहें उनकी
शिकवों-शिकायतों का जानें क्या सिलसिला
मिलती-झुकती मुझसे अभ्भी निगाहें उनकी
वो तो इक खामोश-सी जुबान लिये बैठी हैं
करती सवालें मुझसे अभ्भी निगाहें उनकी
अब-तक तो मैं हैंरत में जी रहा हूँ अए वर्मा
करती हैं ईश्क मुझसे अभ्भी निगाहें उनकी
नितेश वर्मा
कहें तो हैं दूर् मुझसे अभ्भी निगाहें उनकी
शिकवों-शिकायतों का जानें क्या सिलसिला
मिलती-झुकती मुझसे अभ्भी निगाहें उनकी
वो तो इक खामोश-सी जुबान लिये बैठी हैं
करती सवालें मुझसे अभ्भी निगाहें उनकी
अब-तक तो मैं हैंरत में जी रहा हूँ अए वर्मा
करती हैं ईश्क मुझसे अभ्भी निगाहें उनकी
नितेश वर्मा
No comments:
Post a Comment